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उद्देश्य

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उद्देश्य

 

 " शहीदों की चिताओं पर न दीपक है न मेंले हैं,

वतन पर मरने वालों का क्या कहीं बाकी निशां होगा ? "

 

    भारतीय स्वातंत्र्य के इतिहास में क्रांतिकारियों एवं शहीदों के साथ न्याय नहीं किया गया।  देशवासी महान क्रांतिकारियों एवं शहीदों को भूल रहे हैं।  आजादी के बाद अहिंसा के अतिरेक के कारण यह सब हुआ है।  इतिहास साक्षी है किदेश में केवल अहिंसा के पुजारियों को महान समझा गया। क्रांतिकारियों एवं शहीदों को भुला दिया गया।  उनका नाम इतिहास से हटाने का प्रयास हुआ है। उन्हें शहीद ना कहकर अतिवादी पुकारा गया।  शहीद भगतसिंह को अतिवादी एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस को युद्ध अपराधी लिखा गया। चंद्रशेखर आजादवीर सावरकर जैसे बलिदानियों को भुलाने का जाना-बुझा प्रयास हुआ है। लोग कहते हैं ...

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,

वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा "

 

     

      आपातकाल के समय सत्ता-पिपासा के कारण अपने राजनैतिक विरोधियों एवं देशभक्तों को जेलों में डाल दिया गया।  जिसका इतिहास में ज़िक्र तक नहीं।  आजादी के सात दशक एवं आपातकाल के चार दशक बीतने के बाद भी राजनैतिक पीड़ितों की सुध न ली जावे, उनको भुलाने का प्रयास हो। इन पीड़ादाई घटनाओं का स्मरण करने के लिए यह वेबपोर्टल तैयार है।

     स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपने प्रधानमंत्री काल में देश के लिए शहीद होने वाले जवानों के शवउनके नगर और गांव तक पहुंचानेउन्हें सम्मान देनेउनके स्मारक बनाने का निर्णय किया था। उनके पूर्व आजाद भारत में शहीद जवानों के शव उनके परिवारों को प्राप्त करना कठिन होता था।  अटल जी को नमन कर उनकी कविता से हम अपना उद्देश्य प्रकट करते हैं -

 

जो बरसों तक सड़े जेल में,  उनकी याद करें ।

जो फांसी पर चढ़े खेल में,  उनकी याद करें ।

याद करे काला पानी को

अंग्रेजों की मनमानी को

कोल्हू में जुट तेल पेरते

सावरकर से बलिदानी को। 

याद करें बहरे शासन को

बम से थर्राते आसन को,

भगतसिंहसुखदेवराजगुरु 

के आत्मोत्सर्ग पावन को ।

अन्याय से लड़े

दया की मत फरियाद करें। 

उनकी याद करें।

बलिदानों की बेला आई,

लोकतंत्र दे रहा दुहाई,

स्वाभिमान से  वही जियेगा

जिससे कीमत गई चुकाई 

उनकी याद करें।

 

       अटल जी स्वयं मीसाबंदी रहे हैं,  उन्हें आपातकाल में गिरफ्तार कर जेल में डाला गया।  आपातकाल के दौरान उनकी लिखी गई कविता कैदी कविराय की कुंडलियों के कुछ अंश निम्नानुसार है।

 

मीसा मंत्र महान

दोष और निर्दोष मेंजिसकी दृष्टि समान

वीजा है वह जेल कामीसा मंत्र महान

मीसा मंत्र महानराजगद्दी का रक्षक

इंद्राणी को लेकरस्वाहा होगा तक्षक

 यह कह दी कविरायमार मीसा की मारी

रौलट की संतानत्रस्त है जनता सारी

 

अनुशासन पर्व 

अनुशासन का पर्व हैबाबा का उपदेश 

हवालात की हवा भीदेती यह संदेश 

देती यह संदेशराज डंडे से चलता 

जज हज करने जाएंरोज कानून बदलता 

कह कैदी कविरायशोर है अनुशासन का 

लेकिन जोर दिखाई देतादु:शासन का

 

    यह वेब पोर्टल  देशभक्तों एवं मातृभूमि की सेवा में समर्पित महापुरुषों की जीवन गाथाउनके संघर्षउनके त्याग व बलिदानों की यादें ताजा करेगा।  इस हेतु घटनाक्रमोंचित्रों,  संस्मरणोंन्यायालय एवं शासन के आदेशों तथा उपलब्ध साहित्य एवं पीड़ित परिवारों की व्यथा-कथा समाहित की गई है।