Apaatkaal.com

मिशन

मिशन


 

मिशन

भारतीय लोकतंत्र यदि सुरक्षित हैतो इसके लिए तपोनिष्ठ बहुतेरे बलिदानों की एक विशाल श्रृंखला है। जिसमें कुछ काल कलवित हो गएकुछ उम्र के प्रवाह में बिछुड़ गए। कुछ आपातकालीन अत्याचारों के बोझ को ढ़ोते हुए बीमारी एवं आर्थिक तंगी से संघर्ष करते हुए परलोक सिधार गए।  कुछ संघर्षशील तपोनिष्ठ समाजसेवी जिन्होंने आपातकाल की यातनाओं को सहकर भी अपने मनोबल एवं तपोबल को बनाए रखातथा देश और समाज को प्रेरणा देकर लोकतंत्र की अमरता को अक्षुण बनाए रखने का बीड़ा उठाया।  ऐसे तपोनिष्ठ लोकतंत्र सेनानियों का मार्गदर्शन हमारी प्रेरणा है।

 

ऐसे ज्ञात-अज्ञात लोकतंत्र सेनानियों के चरणो में विनम्र आदरांजली अर्पित करते हुए, उनकी स्मृतियोंअनुभवोंसंघर्षोंअत्याचारों की पीड़ा एवं संघर्ष की पराकाष्ठा का चित्रणउनकी अपनी बात इस वेब पोर्टल के माध्यम से साझा करने का यह विनम्र प्रयास है। मीसाबंदियों के पीड़ित परिवार जिनका सामाजिक-आर्थिक ढांचा ध्वस्त होकर परिवार छिन्न-भिन्न और तहस-नहस हो गएउनकी पीड़ा को शब्द देनेउनकी जीवन गाथा एवं प्रेरणादाई संघर्ष के उन 21 माह (26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक आपातकाल) के अंधे युग का स्मरण कराने का विनम्र प्रयास है।

 

मीसाबंदी चंचल रिजवानी के शब्दों में ..

“ जिसनें मरना सीख लिया है, जीने का अधिकार उसी को

जो काँटों के पथपर निकला, फूलों का उपहार उसी को ”