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आपातकाल घटनाक्रम


                  आपातकाल घटनाक्रम

जनवरी 1974 : गुजरात में छात्र आंदोलन प्रारंभ।

18 मार्च 1974 : बिहार में छात्र संघर्ष समिति एवं जन संघर्ष समिति द्वारा संपूर्ण क्रांति का आव्हान। जयप्रकाश नारायण द्वारा छात्र आंदोलन को समर्थन।

अप्रैल 1974 :  सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध जयप्रकाश नारायण का भाषण। 

29 जुलाई 1974 : इलाहाबाद में अखिल भारतीय युवा सम्मेलन में जयप्रकाश नारायण का भाषण।

19 नवंबर 1974 :  पटना के गांधी मैदान में जयप्रकाश नारायण की विशाल जनसभा।

23 जनवरी 1975 : रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र तथा 22 अन्य व्यक्ति समस्तीपुर रेल्वे स्टेशन के पास एक बम विस्फोट में घायल (जनवरी)  ललित नारायण मिश्र की मृत्यु (जनवरी)  देश के अनेक नेताओं द्वारा इस हिंसात्मक कार्यवाही की निंदा तथा अनेक विपक्षी नेताओं द्वारा विस्फोट के कारणों की जांच की मांग।

18 जनवरी 1975 : सभी विपक्षी दलों (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को छोड़कर)  द्वारा जयप्रकाश नारायण के समर्थन में दस लाख लोगों का जनता मार्चसंसद भवन तक ले जाने का निश्चय।

3- 4- 5 मार्च 1975 :  भारतीय जनसंघ का दिल्ली में 20 वां अधिवेशन। वहां अतिथि के रुप में गए जयप्रकाश नारायण द्वारा भाषण (मार्च)  जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने विगत 1 वर्षीय संबंध में प्राप्त अनुभवों के आधार पर उनकी प्रशंसा तथा कम्युनिस्टों और इंदिरा समर्थकों द्वारा उन पर लगाए गए फासिस्ट व प्रतिक्रियावादी जैसे मिथ्या आरोपों का खंडन।

मार्च 1975 : सभी विरोधी दलों (कम्युनिस्ट पार्टी के अतिरिक्त)  की ओर से लोकसभा में जयप्रकाश नारायण इत्यादि के हस्ताक्षरों से युक्त मांग पत्र प्रस्तुत।(जिसमें 6 मार्च को भेंट किए गए मांग पत्र कीबातें सम्मिलित)

18 मार्च 1975 : (क) बिहार छात्र समितियों द्वारा और जनसंघर्ष समितियों द्वारा 3 किलोमीटर लंबा "जनता मार्च"  विधानसभा भवन तक तथा गांधी मैदान में "संपूर्ण क्रांति" की प्रथम वर्षगांठ मनाने हेतु सार्वजनिक सभा। आंदोलन में सरकारी दमन से 100 लोग मारे गए और 20,000 बंदी बनाए गए।

(ख) अपने विरुद्ध प्रस्तुत राजनारायण की चुनाव याचिका के कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वक्तव्य देने हेतु इंदिरा गांधी उपस्थित।

13 अप्रैल 1975 :  मोरारजी देसाई ने अपना अनशन (अप्रैल से चला हुआ )  तब तोड़ाजब उन्हें इंदिरा गांधी का पत्र प्राप्त हो गया। जिसमें यह आश्वासन दिया गया था किगुजरात विधानसभा के चुनावजून के आसपास करा दिए जाएंगे और आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) का प्रयोग वैद्य राजनीतिक गतिविधियों वाले लोगों के विरुद्ध नहीं होगा।

मई 1975 : लोकसभा में विरोधी दलों द्वारा एक बिल प्रस्तुत। जिसमें आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) कि इस व्यवस्था काकि 2 वर्ष तक किसी को भी राष्ट्र विरोधी तत्व कहकर नजर बंद रखा जा सकता है,  संशोधन करने की दृष्टि (मांग) थी।

12 जून 1975 :  (क) गुजरात विधानसभा के लिए हुए निर्वाचन के परिणाम घोषित। जनता पक्ष (फ्रंट)  की विजय और कांग्रेस की पराजय (182 में से केवल 72 कांग्रेस) ।

(ख) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने राजनारायण की चुनाव याचिका पर निर्णय देते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली से हुए निर्वाचन को रद्द घोषित किया तथा उन्हें 6 वर्ष तक निर्वाचन में भाग लेने के लिए अयोग्य घोषित किया।

20 जून 1975 : इंदिरा गांधी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की । वोट क्लब पर कांग्रेस द्वारा आयोजित जनसभा में इंदिरा गांधी ने "बड़ी शक्तियों" पर उन्हें अपदस्थ करने तथा बर्बाद करने के लिए किए जा रहे एक बड़े षड्यंत्र का आरोप लगाया।

24 जून 1975 : (क) विरोधी दलों की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों की मोरारजी देसाई के निवास स्थान पर अगली कार्य रेखा निश्चित करते हुएइंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बने रहने के विरोध में देशव्यापी सत्याग्रह का निर्णय लिया गया।

(ख) सर्वोच्च न्यायालय ने इंदिरा गांधी द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध प्रस्तुत अपील को नामंजूर कर स्थगन देने से इंकार किया।

25 जून 1975 : दिन में ) लोकसंघर्ष समिति बनाई गई जिसमें मोरारजी देसाई अध्यक्षनानाजी देशमुख सचिवतथा अशोक मेहता कोषाध्यक्ष बने।

(सायंकाल)  दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई ऐतिहासिक विशाल जनसभा में जयप्रकाश नारायण ने "शांतिपूर्ण सत्याग्रह"  का आव्हान किया।

25 जून 1975 : (अर्द्धरात्रि) आपात स्थिति की घोषणा पर अर्द्धरात्रि में राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर,  संविधान की धारा 352 के खंड (1) के अनुसार आंतरिक गड़बड़ियों से भारत की सुरक्षा को उत्पन्न संकट के नाम पर की गई इस घोषणा की सार्वजनिक जानकारी होने से पूर्व ही जयप्रकाश नारायण तथा अन्य अनेक प्रमुख नेताओं को बंदी बना लिया गया। लोकतंत्र पर कलंक तथा आपातकालीन दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास की प्रथम अभागी रात्रि थी।

25 जून 1975 : (मध्य रात्रि)  समाचार पत्रों पर सेंसरशिप लागू कर दी गई । सभी प्रमुख समाचार पत्रों के कार्यालयों पर पुलिस के प्रमुख अधिकारियों को तैनात कर दिया गया तथा बिना सेंसर हुए किसी भी समाचार पत्र के प्रकाशन को रोक दिया गया।  विरोधी दलों एवं विरोधी विचारधारा के समर्थक समाचार पत्रों का प्रकाशन बंद कर दिया गया।

26 जून 1975 : (सुबह)  सुबह होने से पूर्व रात्रि में ही देशभर में प्रमुख विरोधी दलों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। सुबह के समाचार- पत्रों में आपातकाल की सूचना प्रकाशित हुई । अनेक समाचार पत्रों ने अपने संपादकीय स्थान रिक्त रखें ऊपर केवल आपातकाल लिखा।

इंदिरा गांधी की कैबिनेट की मीटिंग सुबह 8:00 बजे हुई जिसमें आपातकाल लगाने पर सहमति प्रदान की गई।

26 जून 1975 : ( दिनभर ) आकाशवाणी से इंदिरा गांधी का रेडियो भाषण दिनभर प्रसारित होता रहा।  पूरे देश में गिरफ्तारियों का दौर चल पड़ा।  जुलूस सभाओं एवं प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गईपूरे भारत को खुली जेल एवं पुलिस थानों को यातना केंद्र में तब्दील कर दिया गया।

27 जून 1975 : राष्ट्रपति ने एक " लक्ष्मीकांत झा .....  को दिल से निलंबित किया गया",  आदेश प्रसारित किया (संविधान की धारा 359 (1) के अंतर्गतजिससे संविधान के 3 अनुच्छेदों (14, 21, 22) द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का उपयोग करने के लिए न्यायालय से मांग करने का नागरिक अधिकार स्थगित कर दिया गया। छः विरोधी संसद सदस्य (महावीर त्यागी,  प्रकाशवीर शास्त्रीजगदीश प्रसाद माथुर आदि)  राष्ट्रपति से मिले और परिस्थिति पर चर्चा की। द्रविड़ मुनेत्र कषगम ( DMK ) ने आपात स्थिति समाप्त करने तथा बंदी नेताओं को मुक्त करने की मांग वाले प्रस्ताव पारित किए। 

28 जून 1975 : आपातकाल की घोषणा के बाद वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर सेंसरशिप के खिलाफ अपने पत्रकार साथियों को एक जुट करने में लगे थे। 28 जून 1975 को उन्होंने प्रेस क्लब में एक मीटिंग बुलाई उसमे कुल 103 पत्रकार पहुचें थे, जिनमें कई नामी सम्पादक भी थे। मीटिंग में प्रस्ताव पर आपातकाल एवं सेंसरशिप के खिलाफ दस्तखत किये गए थे। जिनमें वेदप्रताप वैदिक, प्रभाष जोशी और बलवीर पुंज जैसे पत्रकार शामिल थे। इसकी भनक तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्ध्याचरण शुक्ला को लग गई। उन्होंने कुलदीप नैयर से पूछा वह लवलेटर (दस्तखत वाला पत्र) कहाँ है, नैयर ने कहा वह मेरी तिजोरी में है। इसके कुछ दिनों बाद नैयर को गिरफ्तार कर लिया गया।  

30 जून 1975 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक बालासाहब देवरस बंदी बनाए गए।

जुलाई 1975 : केंद्रीय सरकार ने भारतीय सुरक्षा नियमों (1971) के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघजमात-ए-इस्लामीआनंद मार्ग सहित 26 संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया। अनेक समाज सेवी संगठनों तथा धार्मिक नेताओं एवं राजनीतिक प्रभाव रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की देशभर में गिरफ्तारियां की गई।

16 जुलाई 1975 : लोकसंघर्ष समिति का 10 दिवसीय सत्याग्रह प्रारंभ। 16 जुलाई को पटेल चौक दिल्ली पर लाला हंसराज गुप्ता ( दिल्ली के पूर्व महापौर ) ने सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी।

21 जुलाई 1975 :  इंदिरा गांधी की सत्ता को स्थापित रखने के लिए लोकसभा व राज्यसभा के विशेष अधिवेशन प्रारंभ।

25 जुलाई 1975 :  लोक संघर्ष समिति के 10 दिवसीय सत्याग्रह का अंतिम दिन।

अगस्त 1975 :  राष्ट्रपति द्वारा संविधान में 38 वें संशोधन बिल जो लोकसभा में 23 जुलाई को व राज्यसभा में 24 जुलाई को स्वीकृत हुआ थाको स्वीकृति इस कानून से आपत  स्थिति की घोषणा को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थीतथा राष्ट्रपति राज्यपालों व संघ क्षेत्रों के प्रशासन के अधिकारों को न्यायिक परीक्षण से परे कर दिया गया। यह कानून आपातकाल समाप्ति के बाद मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया।

अगस्त 1975 : राष्ट्रपति ने निर्वाचन कानून संशोधन बिल पर जो दोनों सदनों से स्वीकृत हो चुका था,  हस्ताक्षर किएइस कानून से राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया किवह निर्वाचन आयुक्त से परामर्श करके भ्रष्ट  आचरणों के आरोप में व्यक्ति को निर्वाचनार्थ अयोग्य घोषित करने की अवधि निश्चित करें। इस कानून को पूर्वव्यापी प्रभाव वाला रखा गया। जो इंदिरा गांधी के निर्वाचन को सुरक्षित करने के लिए किया गया।

16 अगस्त 1975 :  राष्ट्रपति ने संविधान में 39 वें संशोधन बिल पर हस्ताक्षर किए। इस कानून से व्यवस्था कर दी गई कि प्रधानमंत्रीलोकसभा अध्यक्षराष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। इसके अनुसार  पहले से ऐसे चल रहे मुकदमों को भी रद्द कर दिया गया। इसके द्वारा निर्वाचन संबंधी नियमों मीसा आदि को न्यायालय में चुनौती से सुरक्षित कर दिया गया। इस कारण न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकी। इस संविधान संशोधन का यह प्रभाव हुआ कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा गांधी के विरुद्ध पारित आदेश एवं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की अपील निरस्त करने के आदेश प्रभावहीन हो गए प्रधानमंत्री के नाते इंदिरा गांधी के चुनाव को वैध कर दिया गया।

 

28 अगस्त 1975 :  लोक संघर्ष समिति के सचिव नानाजी देशमुख गिरफ्तार।

 

16 सितंबर 1975 :  लोक संघर्ष समिति के नेताओं की मुम्बई में बैठक।  इस बैठक में नानाजी देशमुख के मीसा में गिरफ्तार होने पर उनके स्थान पर रवींद्र वर्मा को लोक संघर्ष समिति का सचिव बनाया गया।

 

2 अक्टूबर 1975 : (क)  आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किए गए मीसाबंदियों पर दिल्ली तिहाड़ जेल में भीषण लाठीचार्ज।

(ख) गांधी जयंती के कारण दिल्ली में गांधी समाधि (राजघाट) पर जनता की भीड़ । “सर्वोदय कार्यकर्ता फोरम'' की ओर से सभा करने का प्रयत्न। आचार्य कृपलानी पूर्व योजना के अनुसार उसके लिए उपस्थित थे। "जयप्रकाश की जय" के नारे बहुत लगे, इसपर पुलिस ने बल प्रयोग किया और सभा नहीं होने दी।

(ग)  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कामराज नाडार का मद्रास में देहांत। (नेहरू के समय कामराज योजना इन्ही की देन थी)

 

12 अक्टूबर 1975 : अहमदाबाद में सिविल लिबर्टीज कॉन्फ्रेंस हुई।

 

6 नवंबर 1975 : लोक संघर्ष समिति की ओर से प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी को पत्र द्वारा सूचना दी गई कि 14 नवंबर से सत्याग्रह प्रारंभ होगा।

 

7 नवंबर 1975(क) उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध इंदिरा गांधी की अपील पर इंदिरा गांधी के पक्ष में निर्णय दिया। ( चुनाव कानून पुरानी तारीखों से बदलने का संविधान संशोधन पर 16 अगस्त 1975 को राष्ट्रपति नें हस्ताक्षर किए थे.)

(ख) जे.पी. के भाई आर. प्रसाद उनसे 7 नवम्बर को जेल में मिले उनका स्वास्थ्य चिंताजनक था।

9 नवम्बर 1975 :  जे. पी. सहमती और जानकारी के बिना उनके भाई आर. प्रसाद ने इंदिरा गांधी को एक पत्र लिखा जिसमें उनके चिंताजनक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी। आर. प्रसाद नें लिखा कि इस स्थिति में जे. पी. एक दो माह से ज्यादा जीवित नहीं बचेंगें। मुझे लगा कि इस बारे में आपको अवश्य अवगत कराना चाहिए ताकि आप इसपर अपना आंकलन कर सकें। यह महान व्यक्तिगत त्रासदी तो होगी ही, इसके अलावा आप निर्णय करें कि क्या यह सरकार के हित में होगा की जे. पी. की मृत्यु जेल में हो ?  

 

12 नवंबर 1975 : गंभीर अस्वस्थता के कारण जयप्रकाश नारायण कारावास से मुक्त किए गए। जे. पी. इसलिए रिहा नहीं किए गए की उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई वास्तविक चिंता थी। वह इसलिए छोड़े गए क्योकि जेल में उनका देहांत होना सरकार के हित में नहीं होता। जे. पी. की रिहाई का समाचार अशालीन और दुष्ठ्ता पूर्ण ढंग से दिया गया।

 

14 नवंबर 1975 :  (क) लोक संघर्ष समिति का ऐतिहासिक सत्याग्रह प्रारंभ।

(ख) राष्ट्रपति ने मीसा (चतुर्थ संशोधन)  अध्यादेश 1975 प्रसारित किया, जिसके अनुसार मीसा के अंतर्गत किसी भी निवारक नजरबंदी की अवधि रद्द या समाप्त होने पर पुनः उसी कानून में बंद किया जा सकता था।

 

17 नवंबर 1975 :  डीआईजी कांफ्रेंस का उद्घाटन करते हुए इंदिरा गांधी ने कहां की गुप्तचर विभाग का यह कथन कि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दब गया है, मिथ्या सिद्ध हुआ है। क्योंकि यह सत्याग्रह वास्तव में संघ ही कर रहा है।

 

20 नवंबर 1975 : 14 नवंबर से प्रारंभ सत्याग्रह की अनवरत श्रंखला में ही दिल्ली विश्वविद्यालय में जोर-शोर से सत्याग्रह शुरू हुआ।

 

12 दिसंबर 1975चांदनी चौक (दिल्ली) में महिलाओं के जत्थे का नेतृत्व करते हुए सरदार पटेल की सुपुत्री मणिबेन पटेल, (सांसद) द्वारा सत्याग्रह किया गया।

 

8 जनवरी 1976 : राष्ट्रपति का आदेश प्रसारित, जिसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त मूलभूत अधिकारों की समाप्ति । न्यायालय में जाने का नागरिकों का अधिकार आपातकाल रहने तक स्थगित किया गया। ( वकील, अपील, दलील का अधिकार समाप्त )

 

16-18 जनवरी 1976 : विनोबा द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय आचार्य-सम्मेलन पवनार में संपन्न।

 

26 जनवरी 197614 नवम्बर 1975 से प्रारंभ किया गया ऐतिहासिक सत्याग्रह समाप्त। देशभर में लाखों लोगों द्वारा गिरफ़्तारियाँ दी गई।

 

1 फरवरी 1976 : "हिंदुस्तान समाचार" सहित चार  समाचार एजेंसियों का विलय  करके 'समाचारनामक नई एजेंसी  प्रारंभ। (पी.टी.आई., यू. एन.आई., भाषा, हिंदुस्तान समाचार)

 

12 फरवरी 1976 : लोक संघर्ष समिति के सचिव रविंद्र वर्मा गिरफ्तार किए गए।

 

24 फरवरी 1976 :  जेल से मुक्त होकर मोरारजी देसाई दिल्ली में अपने निवास स्थान पर पहुंचें।

 

26 फरवरी 1976 : दिल्ली में अटल बिहारी बाजपेयी जेल से अपने निवास स्थान पहुंचेकिंतु अभी भी वर्दीधारी पुलिस की घर पर निरंतर निगरानी जारी ।

 

20 - 21 मार्च 1976मुंबई में जनसंघ, संगठन कांग्रेस, सोशलिस्ट, भारतीय लोकदल, डी.एम.के., आर.एस.पी. और कुछ निर्दलीय राजनीतिक नेताओं की बैठक, जिसमें आचार्य कृपलानी भी रहे।  विपक्षी राजनीतिक दलों के एकत्रीकरण का निश्चय।

 

23 मार्च 1976 : सी.बी.आई. द्वारा "बड़ौदा डाईनामाइट षड्यंत्र केस" की जांच प्रारंभ। समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस को डायनामाईट काण्ड के अंतर्गत फसाया गया तथा दुर्दांत अपराधी की तरह ढूँढा जाने लगा।

 

28 अप्रेल 1976 : सर्वोच्च न्यायालय द्वारा “ हैबियस कार्पस ” (बंदी प्रत्यक्षीकरण) के अधिकार को आपातकाल में अमान्य कर दिया गया। निर्णय में चार जजों ने पक्ष में तथा मात्र एक जज (जस्टिस एच. आर. खन्ना) ने विरोध में फैसला दिया। इसका परिणाम यह हुआ की अब कोई भी मीसाबंदी अपनी गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण गिरफ़्तारी के विरोध में उच्चन्यायालय से न्याय प्राप्ति की याचना नहीं कर सकता था।

  

30 अप्रेल 1976 : न्यूयार्क टाइम्स ने अपने 30 अप्रेल 1976 के सम्पादकीय में लिखा भारत में जब कभी जनतंत्र और स्वातंत्र वापस आयेंगे तो निश्चित ही कोई न कोई व्यक्ति जस्टिस खन्ना का अवश्य ही स्मारक बनाएगा।

 

25 मई 1976 : मुंबई में जयप्रकाश नारायण द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक नए राष्ट्रीय दल के निर्माण की घोषणा।  इस पार्टी में संगठन कांग्रेस, भारतीय लोक दल, समाजवादी दल और भारतीय जनसंघ का विलय होगा, यह घोषित किया।

 

10 जून 1976 : समाजवादी नेता जार्ज फर्नांडिस को बडौदा डायनामाईट षड्यंत्र केस में कलकत्ता के चर्च से गिरफ्तार कर दुर्दांत अपराधियों की तरह रातोरात दिल्ली लाया गया। जेल के बाहर यह संदेह जताया जा रहा था कि कहीं सरकार जेल के भीतर ही उनकी हत्या न करवा दे। जर्मनी, नार्वे और ऑस्ट्रिया के राष्ट्राध्यक्षों नें इंदिरागांधी के सामने जार्ज की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। जार्ज को हथकड़ी एवं बेड़ी में बांधकर बर्बरता पूर्वक जेल में रखा गया.  

 

13 जून 1976विनोबा जी के आश्रम पर पुलिस का छापा।

 

19 - 20 जून 1976 : मुंबई में '' सिटीजन फॉर डेमोक्रेसी '' का वार्षिक सम्मेलन हुआ।

6 अगस्त 1975 : सुब्रमन्यम स्वामी आपातकाल के दौरान अमेरिका के 23 राज्यों में आपातकाल के विरुद्ध भारतीयों में अलख जगा रहे थे। उन्हें संसद में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराना आवश्यक था। सरकार एवं गुप्तचरों को इसका पता चल गया। पुलिस नें हवाई अड्डे सहित सभी जगह नाकाबंदी कर ली थी। किन्तु स्वामी को इसकी भनक लग चुकी थी। वो वेश बदलकर हवाईअड्डे से बाहर निकल गए।  

 

9 अगस्त 1976जयप्रकाश नारायण की राष्ट्रपति से दिल्ली में भेंट।

 

10 अगस्त 1976सुब्रमण्यम स्वामी राज्य सभा में उपस्थित हुए और फिर भूमिगत हो गए, किंतु बंदी नहीं बनाए जा सके। संसद का सत्र प्रारंभ होने वाला था। स्वामी संसद भवन में पहुंचे हाजरी रजिस्टर पर हस्ताक्षर किये। प्रश्न पूछा पुलिस को चकमा देकर संसद से निकल गए।

 

15 अगस्त 1976गुजरात में हड़ताल तथा दांडी मार्च।

 

16 अगस्त 1976 : डॉ. सुब्रमन्यम स्वामी की संसद में सनसनीखेज उपस्थिति और उससे अधिक सनसनीखेज ढंग से संसद से गायब हो जाने की खबर जब जेलों में पंहुची तो सभी नजरबन्द हर्षोत्फुल्ल थे। मधु दंडवते ने कहा (यह एक अन्य इंटेबी है) कुल मिलकर इसका अर्थ यह हुआ की स्वामी संसद में आया, इंदिरागांधी को तमाचा मारा और चला गया। यह टिपण्णी हेगड़े की है। “  

 

20 सितंबर 1976 : भारत सरकार की आपातस्थिति-घोषणा तथा दमन नीति के विरोध में फिलाडेल्फिया से एक पद-यात्रा प्रारंभ हुई जो 1 अक्टूबर 1976 को राष्ट्रसंघ भवन के बाहर पहुंचकर समाप्त हुई।  120 मील की इस पदयात्रा के प्रारंभ होने के पूर्व मकरंद देसाई और मैक आर्थर  के भाषण हुए । 1 2 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने भूख - हड़ताल तथा 2 को ही सार्वजनिक सभा की घोषणा।

 

14 अक्टूबर 1976वर्धा जिले के एक प्रमुख सर्वोदयी कार्यकर्ता प्रभाकर शर्मा द्वारा सरकारी दमन नीति के विरोध में आत्मदाह किया। आत्मदाह से पूर्व आचार्य विनोबा को पत्र तथा इंदिरा गांधी के नाम एक विस्तृत पत्र लिखा ।

 

7 नवंबर 1976 : पटना की एक जनसभा में जयप्रकाश नारायण का ओजस्वी भाषण।

 

18 जनवरी 1977प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का आकाशवाणी पर भाषण। लोकसभा भंग करने और मार्च 1977 में महा निर्वाचन कराने के निर्णय की घोषणा।

 

20 जनवरी 1977 : (क) जनता पार्टी का निर्माण।

(ख) आपातकाल की घोषणा के बाद दिल्ली तथा अन्यत्र स्थानों पर प्रथम सार्वजनिक सभा। रामलीला मैदान (दिल्ली) में जनता पार्टी की विशाल जनसभा। पटना में जयप्रकाश नारायणमुंबई में लालकृष्ण आडवाणीजयपुर में चंद्रशेखरतथा लखनऊ में चौधरी चरण सिंह के भाषण हुए।

 

2 फरवरी 1977जगजीवन राम ने केंद्रीय मंत्री पद से त्यागपत्र दिया तथा कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी त्याग दी।

 

6 फरवरी 1977 : दिल्ली में जयप्रकाश नारायण का रामलीला मैदान की विशाल सभा में भाषण।  इस सभा में जगजीवन राम ने भी भाषण दिया।

 

11 फरवरी 1977 : राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु।

 

13 मार्च 1977जयप्रकाश नारायण का मतदाताओं से अंतिम निवेदन।

 

16 - 20 मार्च 1977 :  लोकसभा का महानिर्वाचन ।

 

21 मार्च 1977जनता पार्टी की विजयइंदिरा गांधी तथा संजय गांधी और कांग्रेस की पराजय। नौ राज्यों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। कार्यकारी राष्ट्रपति बी. डी. जत्ती द्वारा आपातकाल  समाप्ति की घोषणा। 

 

22 मार्च 1977 : (क) संघ सहित विविध संगठनों पर लगे प्रतिबंध समाप्त, जेलों में बंद नेता मुक्त किये गए।

(ख) इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दिया।

 

24 मार्च 1977 : (क)  दिल्ली में राजघाट पर जनता पार्टी की संसद-सदस्यों द्वारा निष्ठा की शपथ - ग्रहण। 

(ख) मोरारजी देसाई नें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली ।

(ग) सायंकाल दिल्ली के रामलीला मैदान में जनता पार्टी की ऐतिहासिक जनसभा।

 

13 अप्रैल 1977 : बाला साहब देवरस का नई दिल्ली स्टेशन पर भव्य स्वागत।