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जयप्रकाश पर लाठी से हमला


जयप्रकाश पर लाठी से हमला 

                               धरमवीर भारती – लेखक एवं साहित्यकार

              4 नवम्बर 1974 को पटना में जयप्रकाश नारायण, आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे. जयप्रकाश का आव्हान था, हमला चाहे जैसा भी हो - हाथ हमारा नही उठेगा. आन्दोलनकारी मुंह पर पट्टी और दोनों हाथ पीछे बांधे जुलुस में शामिल हो रहे थे.  जिस जीप में जयप्रकाश सवार थे, उनके बाजू में नानाजी देशमुख खड़े थे. पुलिस ने निशाना बनाकर हमला कर दिया और लाठियां बरसाईं. जेपी के सिर पर पढने वाली लाठी को नानाजी देशमुख नें अपने हाथ पर झेल लिया. जिससे अनहोनी टल गई. पुलिस हमले से नानाजी का हाथ टूट गया तथा जेपी जमीन पर गिर पड़े. 

धर्मवीर भारती ने जेपी पर हुए बर्बर हमले को अपनी रचना “मुनादी” में कुछ इस तरह व्यक्त किया है –

 

“खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का

हुकुम शहर कोतवाल का .......

हर खासों - आम को आगाह किया जाता है

कि खबरदार रहें ......

एक बहत्तर बरस का बूढ़ा आदमी

अपनी कांपती कमजोर आवाज में

सड़कों पर सच बोलता हुआ निकल पड़ा है. .......

 

क्या तुमने नहीं देखी वह लाठी

जिससे हमारे एक कद्दावर जवान ने इस निहत्थे

कांपते बुड्ढे को ढेर कर दिया ? ...............

अब पूछो कहाँ है वह सच जो

इस बुड्ढे ने सड़कों पर बकना शुरू किया था ?

हमने अपने रेडियों के स्वर ऊँचे कर दिए है और कहा है

कि जोर – जोर से फ़िल्मी गीत बजाये,

ताकि थिरकती धुनों की दिलकश बलन्दी में

इस बुड्ढे की बकवास दब जाय. .....